धरती पर पहाड़ केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक ही नहीं बल्कि साहस, रोमांच और रहस्य के प्रतीक भी हैं। कई लोगों के लिए पर्वतारोहण नहीं गतिविधियाँ बहुत ही रोमांचित करती हैं. खासकर ऊँचे पर्वत, जिनकी चोटियां बादलों को चीरती हुई आसमान से बातें करती प्रतीत होती हैं, साहसिक यात्रियों और पर्वतारोहियों के लिए स्वर्ग समान होती हैं। लेकिन पर्वतारोहण के लिए ज़रूरी है कि आप पहले दुनिया के 10 सबसे ऊँचे पहाड़ों के बारे में जानें.
हिमालय, काराकोरम और एंडीज़ जैसे पर्वतमालाओं में स्थित ये ऊँचे-ऊँचे शिखर प्रकृति की अद्भुत कारीगरी का उदाहरण माने जाते हैं। इनमें से कई पर्वत बर्फ से ढके रहते हैं और उनके शिखर तक पहुँचना एक कठिनतम कार्य माना जाता है। अगर आप एडवेंचर का मज़ा लेना चाहते हैं तो जानते सबसे पहले जानते हैं Top 10 Highest Mountains in the World के बारे में विस्तार से:
1. माउंट एवरेस्ट (Mount Everest)
आज के समय में माउंट एवरेस्ट केवल दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है। और स्टडी के मुताबिक़ हर साल इसकी ऊँचाई कुछ मिलीमीटर बढ़ रही है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला में महालंगूर सेक्शन में स्थित है। इस पर्वत को ‘दुनिया की छत‘ यानी ‘Roof of the World‘ भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि स्थानीय नेपाली भाषा और तिब्बती इस पर्वत को किस नाम से जानते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं। नेपाल में इसे “सागरमाथा” और तिब्बती भाषा में “चोमोलुंगमा” कहा जाता है।
समुद्र तल से माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई 8,848.86 मीटर यानी 29,031.7 फीट है। और सबसे रोचक जानकारी ये है कि इस पर्वत में सबसे पहली चढ़ाई 29 मई 1953 को सर एडमंड हिलेरी (न्यूज़ीलैंड के नागरिक) और तेनजिंग नोर्गे (नेपाल के नागरिक) द्वारा की गई थी।
एवरेस्ट पर चढ़ना अपने आप में ही बेहद चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यहाँ का मौसम अत्यंत ही कठोर माना जाता है, जहां पर ऑक्सीजन का स्तर इतना कम रहता है कि साँस लेना भी मुश्किल हो जाए। फिर भी पर्वतारोहियों के लिए यह एक रोमांच है। इसके चुनौतीपूर्ण वातावरण का अंदाज़ा आप इससे लगा सकते हैं कि कई पर्वतारोही इस पर्वत के शिखर पर चढ़ने के जुनून में अपनी जान भी गंवा चुके हैं। इसके बावजूद हर साल दुनिया भर के हज़ारों पर्वतारोही इसकी चोटी फ़तह करने का प्रयास करते हैं। इसी वजह से एवरेस्ट के 8,000 मीटर से ऊपर के क्षेत्र को “डेथ ज़ोन” के नाम से जाना जाता है जो इंसानों के लिए अत्यंत ही जोखिमपूर्ण है।
2. K2 (माउंट गॉडविन-ऑस्टिन)
अब हम आपको दुनिया के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत “K2” यानी “माउंट गॉडविन-ऑस्टिन” के बारे में बताने वाले हैं। इस पर्वत पर चढ़ना भी बहुत मुश्किल माना जाता है इसी वजह से इसे “Savage Mountain” भी कहा जाता है। कई लोगों का कहना है कि इसकी चढ़ाई एवरेस्ट से भी अधिक कठिन और खतरनाक है क्योंकि K2 पर मौसम एवरेस्ट से ज्यादा कठोर है और इसका रास्ता भी अधिक खतरनाक है। यहाँ बहने वाली तेज़ हवाएं, पहाड़ की खड़ी चढ़ाई और अचानक बदलने वाला मौसम इसके जोखिम को कई गुना बढ़ा देते हैं। जिसकी वजह से अनुभवी पर्वतारोही भी इस चढ़ने से पहले कई बार सोचते हैं।
ये पर्वत कितना ख़तरनाक है इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत एवरेस्ट की तुलना में K2 पर मृत्यु दर लगभग तीन गुना अधिक है। फिर भी पर्वतारोही इसमें चढ़ते हैं। सबसे ख़ास बात ये है कि इस पहाड़ में सर्दियों में पहली सफल चढ़ाई (शिखर तक) 2021 में बार हुई थी। इसकी ऊँचाई समुद्रतल से 8,611 मीटर यानी 28,251 फीट मानी जाती है। यह काराकोरम रेंज “पाकिस्तान (PoK) और चीन की सीमा पर” स्थित है। इस ख़तरनाक पर्वत में पहली सफल चढ़ाई 31 जुलाई 1954 को इटली के 2 नागरिक लीनो लैसडेली और अचिल्ले कम्पग्नोनी द्वारा की गई थी।
3. कंचनजंगा (Kangchenjunga)
कंचनजंगा को “पांच खजानों का घर” कहा जाता है क्योंकि इसमें एक नहीं बल्कि पाँच प्रमुख शिखर हैं। इन्ही 5 शिखर की वजह से इसे “पांच खजानों का घर” कहा जाता है। सबसे ख़ास बात ये है कि यह पर्वत भारत का सबसे ऊँचा पर्वत है। समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 8,586 मीटर यानी 28,169 फीट है। कंचनजंगा पर्वत हिमालय पर्वत श्रृंखला में भारत (सिक्किम) और नेपाल की सीमा पर स्थित है।
इस पर्वत में चढ़ने के दौरान यहाँ की पर्यावरण और स्थानीय धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करना पड़ता है। जो भी पर्वतारोही इसके वास्तविक शिखर को फ़तह करना चाहते हैं उनको इस नियम को फ़ॉलो करना पड़ता है और शिखर से कुछ मीटर पहले ही रुकना पड़ता है। इसलिए इसके शिखर तक कोई भी नहीं जाता है। क्योंकि धार्मिक दृष्टि से यहाँ की चोटी पवित्र मानी जाती है इसलिए पर्वतारोही अक्सर कुछ फीट नीचे रुककर यहाँ के भगवान को प्रणाम करते हैं।
इस पर्वत में पहली सफल चढ़ाई 25 मई 1955 को यूके के नागरिक ‘ब्राउन और जॉर्ज बैंड’ द्वारा की गई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि कंचनजंगा को 1852 से पहले दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत माना जाता था, लेकिन उसके 1852 में माउंट एवरेस्ट की सही ऊँचाई मापी गई तब से यह दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत नहीं रहा। दुनिया के तीसरे सबसे ऊँचे इस पर्वत में कम ही पर्वतारोही चढ़ते हैं जिसकी वजह से यह अब भी सबसे कम चढ़ा जाने वाला 8,000 मीटर से ऊँचा पर्वत है।
4. ल्होत्से (Lhotse)
यह पर्वत हिमालय पर्वत श्रृंखला में नेपाल और तिब्बत की सीमा पर एवरेस्ट के ठीक दक्षिण में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि माउंट एवरेस्ट के बाद यह दुनिया में दूसरा सबसे लोकप्रिय पर्वतारोहण गंतव्य स्थल है। जिसकी ऊँचाई 8,516 मीटर यानी 27,940 फीट है। इसकी सबसे ख़ास बात ये है कि इसका मार्ग एवरेस्ट के मार्ग के साथ ही कुछ दूरी तक समान है।
इन्हीं सब कारणों से ल्होत्से को एवरेस्ट का “सिस्टर पीक” भी कहा जाता है, क्योंकि यह दक्षिण कोल के पास एवरेस्ट से जुड़ा हुआ है। इसकी चोटी का आकार आसमान की तरफ़ नुकीला यानी तेज धार वाला है, जो दूर से बेहद आकर्षक दिखता है।
इसकी एक विडंबना ये है कि यह दुनिया का चौथा सबसे ऊँचा पर्वत होने के बावजूद एवरेस्ट के बग़ल में स्थित होने के कारण अक्सर इसकी प्रसिद्धि थोड़ी कम हो जाती है। इसको आप इस बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि भारत में बहुत ही कम लोग होंगे जिसने इसका नाम भी सुना हो। इस पर्वत में पहली चढ़ाई 18 मई 1956 को स्विट्ज़रलैंड के नागरिक एर्न्स्ट रीस और फ्रीट्ज़ लुक्सिंगर द्वारा की गई थी।
5. मकालू (Makalu)
गीजा के पिरामिड के बारे में आपने तो सुना ही होगा। यहाँ मैं आपको पिरामिड के बारे में इसलिए बता रहा क्योंकि मकालू का आकार पिरामिड जैसा ही है। इसकी ढलानें बेहद खड़ी हैं, जो इसे बेहद अलग और शानदार बनाता है लेकिन थोड़ा कठिन भी। इसी वजह से इस पर्वत पर चढ़ाई करना विशेष स्किल की मांग करता है यानी अगर आप ट्रेनिंग नहीं लिए हैं तो इस पहाड़ को नहीं चढ़ पाएँगे। सिर्फ़ इसकी खड़ी चढ़ाई ही नहीं बल्कि यहाँ बहने वाली तेज़ हवाएं और अचानक बदलते मौसम भी पर्वतारोहियों के लिए बड़े अवरोध के रूप में सामने आते हैं।
दुनिया का पाँचवें सबसे ऊँचे पर्वत मकालू की ऊँचाई 8,485 मीटर यानी 27,838 फीट है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला में नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। सर्दियों के मौसम में इसकी चढ़ाई अत्यंत दुर्लभ हो जाती है जिससे बहुत ही कम लोग इस मौसम में चढ़ने की कोशिश करते हैं क्योंकि यहाँ की बर्फीली हवाएँ और लगातार बर्फ़बारी किसी को भी मुश्किल में डाल सकती है। सबसे ख़ास बात ये है कि इसकी चोटी से एवरेस्ट का नज़ारा साफ दिखता है। इस पर्वत की पहली चढ़ाई 15 मई 1955 को फ्रांस के नागरिक लियोनेल टेरे और जीन कौज़ी द्वारा की गई थी।
6. चो ओयू (Cho Oyu)
अगर आप पर्वतारोही प्रशिक्षण और अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं तो यह पर्वत आपकी मदद कर सकता है क्योंकि इसका मार्ग एवरेस्ट और K2 की तुलना में कम कठिन माना जाता है। इसी वजह से इस पर्वत को Friendly Eight-Thousander के नाम से भी जाना जाता है। शायद यही वजह है कि 8,188 मीटर यानी 26,864 फीट की ऊँचाई वाला यह एवरेस्ट और ल्होत्से के बाद सबसे अधिक चढ़ा जाने वाला पर्वत बन चुका है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला में नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित इस पर्वत को तिब्बती भाषा में “चो ओयू” के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है “फ़िरोज़ी देवी”, जो कि तिब्बत की स्थानीय देवी मानी जाती हैं। इस पर्वत की पहली चढ़ाई 19 अक्टूबर 1954 को ऑस्ट्रिया के नागरिक हर्बर्ट टिची और जोसेफ जोकर के साथ नेपाल के नागरिक पासंग दावा लामा ने की थी।
7. धौलागिरी I
हिमालय पर्वत श्रृंखला (नेपाल) में स्थित 8,167 मीटर यानी 26,795 फीट ऊँचाई वाले धौलागिरी पर्वत का नाम संस्कृत के “धवल” (अर्थ: सफेद) और “गिरि” (अर्थ: पर्वत) से मिलकर बना है। जिसका पूरा अर्थ है “सफेद पर्वत”। इसके नाम के पीछे की वजह है यह पर्वत हमेशा बर्फ से ढका रहता है जो इसके दृश्य को और अद्भुत बना देता है। हालाँकि इसकी चढ़ाई भी कठिनाई वाली है। यह अपने अलग और आकर्षक आकार के लिए भी प्रसिद्ध है। इसकी रोचक बात ये है कि 1808 से 1838 तक इसे दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत माना जाता था। इस पर्वत की पहली चढ़ाई 13 मई 1960 को स्विस और ऑस्ट्रियन दल द्वारा की गई थी।
8. मनास्लु (Manaslu)
मनास्लु पर्वत भी नेपाल में है, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। मनास्लु का नाम संस्कृत शब्द “मनस” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “आत्मा”, इस तरह मनास्लु का अर्थ है “आत्मा का पर्वत”। यह पर्वत बेहद सुंदर दृश्य, शांत वातावरण और रोमांच का अद्भुत अनुभव देता है। शायद यही वजह है कि इसे “स्पिरिट माउंटेन” भी कहा जाता है। हाल के वर्षों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इसकी ऊँचाई 8,163 मीटर यानी 26,781 फीट है। इस पर्वत में पहली चढ़ाई 9 मई 1956 को तोशियो इमानिशी और ग्यालज़ेन नॉरबू (जापान/नेपाल नागरिक) द्वारा की गई थी।
9. नंगा पर्बत (Nanga Parbat)
इस पर्वत का नाम तो थोड़ा अजीब है ‘नंगा पर्बत’ लेकिन इससे भी ख़तरनाक बात ये है कि इसको “Killer Mountain” के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसको चढ़ते समय कई पर्वतारोहियों ने अपनी जान गंवाई है। इसके पीछे का मुख्य कारण है इसकी खड़ी चढ़ाई और हिमस्खलन का खतरा जो हमेशा ही बना रहता है। इसीलिए इसको दुनिया के सबसे कठिन पर्वतारोहण स्थलों में से एक माना जाता है। इसकी सबसे रोचक बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत दीवार ‘राकापोशी फेस’ यहाँ मौजूद है।
इसकी कुल ऊँचाई 8,126 मीटर यानी 26,660 फीट है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला में पाकिस्तान में स्थित है। शुरुआती प्रयासों में ही इसने कई पर्वतारोहियों की जान ले ली थी। फिर भी पहली चढ़ाई 3 जुलाई 1953 को ऑस्ट्रिया के नागरिक हरमन बुल ने पूरी की थी।
10. अन्नपूर्णा I
अन्नपूर्णा I का नाम हिंदू देवी अन्नपूर्णा के नाम पर रखा गया है, जो अन्न और पोषण की देवी मानी जाती हैं। हिमालय पर्वत श्रृंखला। में नेपाल में स्थित इस पर्वत की कुल ऊँचाई 8,091 मीटर यानी 26,545 फीट है। यह नेपाल में स्थित है।
यह पर्वत पर्वतारोहण के लिए सबसे खतरनाक माना जाता है क्योंकि यहाँ चढ़ाई के दौरान मृत्यु दर अन्य ऊँचे पर्वतों की तुलना में अधिक है। 8,000 मीटर पर्वत से सबसे अधिक ऊँचे किसी भी अन्य पर्वत के मुक़ाबले इसमें मृत्यु दर बहुत ही अधिक है, क्योंकि इसकी चढ़ाई के दौरान हमेशा हिमस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है। इन चुनौतियों के बावजूद पहली चढ़ाई 3 जून 1950 को फ्रांस के नागरिक मॉरिस हर्ज़ोग और लुई लाचेनल द्वारा की गई थी।
FAQs – दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वतों पर सामान्य प्रश्न
माउंट एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है, जिसकी ऊँचाई 8,848.86 मीटर है।
K2 पर मौसम अधिक खराब रहता है, चढ़ाई का रास्ता खड़ा और तकनीकी रूप से जटिल है, और यहाँ मृत्यु दर भी अधिक है।
हाँ, दुनिया के सभी 10 सबसे ऊँचे पर्वत हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रृंखलाओं में ही स्थित हैं।
जो भी पर्वत 8000 मीटर से ऊँचा होता है उसे “Eight-Thousanders” कहा जाता है।
2020 में नेपाल और चीन के संयुक्त सर्वेक्षण के बाद इसकी नई ऊँचाई 8,848.86 मीटर तय हुई।
निष्कर्ष
दुनिया के Top 10 Highest Mountains in the World न सिर्फ प्राकृतिक चमत्कार हैं, बल्कि साहस, रोमांच और मानव इच्छाशक्ति के प्रतीक भी हैं। ये पर्वत हमें यह सिखाते हैं कि चुनौतियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, दृढ़ निश्चय और तैयारी के साथ हम उन्हें पार कर सकते हैं।