This Device Belongs to Owner and is Financed by Retailers Meaning in Hindi (हिंदी में अर्थ)

अगर आप किस्तों पर या फाइनेंसिंग के माध्यम से एक नया डिवाइस खरीदते हैं, तो आपको कभी-कभी स्क्रीन पर एक संदेश दिखाई देगा: “This Device Belongs to Owner and is Financed by Retailers”। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इस संदेश का मतलब क्या है? यह संदेश अक्सर किस्तों में लिए गए एंड्रॉयड मोबाइल पर दिखाई देता है और जो उपयोगकर्ताओं इसका अर्थ नहीं जानते उनको चिंतित कर सकता है।

आज के डिजिटल युग में, स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। इनके बिना लोग जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. इसी वजह से लोगों के पास अगर पैसा नहीं रहता तो वे लोन पर ही मोबाइल ख़रीद लेते हैं, क्योंकि आज कल भारत में मोबाइल फाइनेंसिंग बहुत लोकप्रिय हो चुका है. लेकिन ख़रीदने के बाद अगर उसमें कोई इंग्लिश में लिखा मैसेज डिस्प्ले होता है और यूज़र को उसका अर्थ पता नहीं होता तो वो कन्फ़्यूज़ होकर टेन्शन में आ सकता है. इसलिए इस लेख को पूरा पढ़ें और जानें कि This Device Belongs to Owner and is Financed by Retailers Meaning in Hindi क्या है और क्या यह संदेश गोपनीयता का उल्लंघन करता है? क्या डिवाइस वास्तव में आपका नहीं है? आइए जानते हैं:

This Device Belongs to Owner and is Financed by Retailers Meaning in Hindi

यह संदेश अक्सर किस्तों में लिए गए एंड्रॉयड मोबाइल पर लॉक स्क्रीन या सेटिंग्स में दिखाई देता है। इसके पीछे का कारण ये है कि जब भी कोई फाइनेंशियर्स या रिटेलर्स किस्तों में मोबाइल बेचता है तो वो मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट (MDM) सिस्टम में एक सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करता है जो यह मैसेज डिस्प्ले करता है ताकि जब तक किस्त पूरी ना हो जाए तब तक लोन देने वाला डिवाइस को कंट्रोल कर सके और अगर कोई लोन ना चुकाए तो डिवाइस को लॉक या ट्रैक किया जा सके. यह संदेश एक तरह से यूज़र या ख़रीदने वाला को याद दिलाता रहता है कि समय पर किस्तों का भुगतान करें. उदाहरण के लिए, यदि आप सैमसंग या वीवो फोन को किस्तों पर खरीदते हैं, तो यह दिख सकता है। चलिए इसके हिंदी अर्थ को समझते हैं:

  • This Device: यह उपकरण (मोबाइल या टैबलेट आदि)।
  • Belongs to Owner: इसका अर्थ है कि डिवाइस कानूनी रूप से खरीदार (ओनर) का है। लेकिन यह पूर्ण स्वामित्व नहीं दर्शाता, क्योंकि फाइनेंसिंग चल रही है।
  • Financed by Retailers: इसका मतलब है कि डिवाइस की लागत रिटेलर्स या फाइनेंशियर्स (जैसे किसी लोन प्रोवाइडर कंपनी) द्वारा वित्तपोषित की गई है। यानी डिवाइस की कीमत का भुगतान किस्तों में किया जा रहा है. यहाँ पर रिटेलर्स का मतलब है डिवाइस बेचने वाले स्टोर या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जो फाइनेंसिंग प्रदान करते हैं।

इस तरह इस वाक्य का हिंदी में सटीक अर्थ है: “यह डिवाइस ओनर (मोबाइल ख़रीददार) का है और रिटेलर्स द्वारा वित्तपोषित है“।

इसी तरह का एक संदेश और है जो अक्सर मोबाइल में दिखाई देता है, वो है ये “This Device Belongs to Your Organization” जो ऊपर वाले मैसेज का ही एक वेरिएंट है, जो कॉर्पोरेट मोबाइल या कभी कभी फाइनेंस्ड मोबाइल में भी दिखाई देता है। Organization शब्द यहां फाइनेंशियर या उस कंपनी को दर्शाता है जिसका यह डिवाइस है। यदि भुगतान समय पर नहीं होता, या अगर किसी कंपनी के ऑफ़िस का तो कर्मचारी अगर अपने पास डिवाइस को रख ले या चोरी हो जाए तो फिर लोन प्रोवाइडर या कंपनी उस डिवाइस को रिमोटली लॉक और ट्रैक कर सकता है, जिससे डिवाइस का पता लगाया जा सकता है।

भारतीय संदर्भ में, देखे तो अगर मान लो आपने किसी स्टोर जैसे लोकल स्टोर, फ्लिपकार्ट या अमेज़ॉन से एक मोबाइल लोन पर ख़रीदा है, तो जो भी कंपनी लोन देती है उसके पास डिवाइस को लॉक और ट्रैक करने का अधिकार तब तक रहेगा जब तक कि लोन की किस्तें पूरी नहीं हो जाती हैं. यह संदेश गोपनीयता की चिंता पैदा करता है, क्योंकि फाइनेंशियर आपके ईमेल, लोकेशन आदि तक पहुंच सकता है। लेकिन दूसरी तरफ़ यह लोन प्रोवाइडर को अपने पैसों की सुरक्षा की भी सुविधा प्रदान करता है ताकि समय पर किस्तों का भुगतान मिल सके. अब चलिए आपको डिवाइस फाइनेंसिंग के बारे में बताते हैं….

डिवाइस फाइनेंसिंग क्या है?

डिवाइस फाइनेंसिंग एक ऐसी फ़ाइनैन्स योजना होती है, जिसमें उपयोगकर्ता महंगे डिवाइस (जैसे स्मार्टफोन) को पूर्ण भुगतान के बजाय किस्तों में खरीदते हैं। यह “Buy Now, Pay Later” यानी BNPL मॉडल का हिस्सा होता है। डिवाइस फाइनेंसिंग के कई प्रकार होते हैं जिनमे शामिल हैं:

  1. रिटेलर फाइनेंसिंग: ऑफ़लाइन स्टोर जैसे लोकल स्टोर, क्रोमा, रिलायंस डिजिटल डिवाइस बेचते हैं और फाइनेंसिंग प्रदान करते हैं।
  2. एनबीएफसी फाइनेंसिंग: बेचे गए डिवाइस को कई NBFC companies लोन देती हैं, ताकि लोग आसानी से ख़रीद सकें. मुख्य रूप से बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी जैसी कंपनियां इसमें शामिल होती हैं। भारत में, बजाज फाइनेंस इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी है, जो मोबाइल फोन को 0% ब्याज पर फाइनेंस करता है।
  3. कैरियर फाइनेंसिंग: भारत में टेलीकॉम कंपनियां जैसे एयरटेल और Jio भी डिवाइस को प्लान के साथ फाइनेंस करती हैं।
  4. लीजिंग vs फाइनेंसिंग: इसी लोन मॉडल का दूसरा मॉडल है लीजिंग, हालाँकि यह अभी भारत में ज़्यादा लोकप्रिय नहीं है. लीजिंग का मतलब है आप डिवाइस को किराए पर लेते हैं, जबकि फाइनेंसिंग में स्वामित्व मिलता है।

फाइनेंसिंग की प्रक्रिया

  • आवेदन: जब भी आप कोई डिवाइस किस्तों में चाहते हैं तो ऑर्डर करने के बाद companies आपका क्रेडिट चेक करके केवाईसी (पैन, आधार) करती हैं।
  • एमडीएम इंस्टॉलेशन: फिर फाइनेंशियर आपके पसंद के डिवाइस पर एक ऐप इंस्टॉल करता है जो डिवाइस को “ऑर्गनाइजेशन” के रूप में रजिस्टर करता है। इसके बाद आपको डिवाइस दे दिया जाता है.
  • भुगतान: फिर आप मासिक ईएमआई देते हैं। जब भी आप किस्त देने में विफल होते हैं तो आपके डिवाइस को लॉक कर दिया जाता है या कुछ महीने तक लगातार विफल होने पर आपको ट्रैक करके डिवाइस आपसे वापस लिया जा सकता है।
  • स्वामित्व हस्तांतरण: सभी ईएमआई चुकाने के बाद ये कंट्रोल लोन प्रोवाइडर पूरी तरह से आपको ट्रान्सफर कर देता है यानी आपको पूर्ण ओनरशिप मिल जाती है।

भारत में, आरबीआई नियमों के तहत फाइनेंसिंग होती है, जहां 24-48 महीनों की अवधि होती है। इस बीच समय पर भुगतान करना ज़रूरी होता है.

क्यों और कैसे दिखता है यह संदेश?

यह संदेश मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट (MDM) सिस्टम के सॉफ्टवेयर के कारण दिखता है, जो फाइनेंशियर्स उपयोग करते हैं और डिवाइस को ख़रीदते समय इंस्टॉल करते हैं. यही सॉफ़्टवेयर कंपनी को आपके डिवाइस को लॉक और ट्रैक करने की परमीशन देता है. इसके पीछे के मुख्य कारण निम्न हैं:

  • क्रेडिट खरीद: यदि डिवाइस क्रेडिट पर लिया गया, तो फाइनेंशियर ट्रैकिंग के लिए MDM सेट करता है। जो कि उसके पैसों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है.
  • गोपनीयता पहुंच: MDM ईमेल, कैलेंडर, लोकेशन पढ़ सकता है, लेकिन व्यक्तिगत डेटा नहीं। इसलिए ऐसे डिवाइसेज़ में प्राइवेसी की थोड़ी चिंता ज़रूर रहती है.
  • नए vs यूज्ड डिवाइस: नए डिवाइस पर पूरी तरह नया MDM इंस्टॉल किया जाता है जबकि अगर आप यूज्ड यानी पुराना डिवाइस ख़रीदे तो फिर अगर उसमें पहले से ही MDM है तो उसी का इस्तेमाल किया जाता है.

कानूनी पहलू: भारत में नियम और अधिकार

भारत में, डिवाइस फाइनेंसिंग कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 और आरबीआई गाइडलाइंस के तहत कंट्रोल होती है। इसका मुख्य मक़सद होता है लोन देने वाली कंपनी के हितों यानी पैसों कि सुरक्षा प्रदान करना. क्योंकि अगर ऐसा कंट्रोल नहीं रहेगा तो फिर कोई भी यूज़र इन कम्पनीज़ के साथ धोखाधड़ी कर सकता है किस्तों का भुगतान करना बंद कर सकता है. हालाँकि भले ही कंपनीज के पास कंट्रोल रहता है लेकिन कुछ अधिकार उपयोगकर्ता के भी होते हैं, जो निम्न हैं:

  • स्वामित्व: पहली ईएमआई के बाद डिवाइस आपका हो जाता है यानी मालिक आप हो जाते हैं, लेकिन फाइनेंशियर के पास राइट टू रिकवर का ऑप्शन तब तक रहता है जब तक सभी किस्तों का भुगतान ना कर दिया जाए।
  • गोपनीयता: डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 के तहत, फाइनेंशियर केवल आवश्यक डेटा एक्सेस कर सकता है। पर्सनल डेटा तक उसकी पहुँच नहीं होती है.
  • लॉकिंग: समय पर किस्त का भुगतान न होने पर लॉक करना वैध होता है, लेकिन इसके लिए नोटिस देना जरूरी है।

इसके अलावा फाइनेंशियर्स की कुछ और भी जिम्मेदारियाँ होती हैं, जैसे कि – लोन देने वाली कंपनियों को यूज़र की प्राइवेसी पॉलिसी को फॉलो करना पड़ता है, जिससे यूजर डेटा सुरक्षित रह सके। यदि किसी कंपनी द्वारा प्राइवेसी पॉलिसी का उल्लंघन किया जाता है तो फिर यूज़र के पास एनसीपीसी में शिकायत करने का अधिकार होता है।

गोपनीयता चिंताएं: क्या फाइनेंशियर सब देख सकता है?

लोन पर डिवाइस लेने की सुविधा एक तरह से यूज़र को सहूलियत भी देती है लेकिन MDM को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं, जैसे कि:

क़ानूनी रूप से लोन देने वाली कंपनी आपकी लोकेशन, वाइप, लॉक को देख सकती है। लेकिन फोटो, कॉन्टैक्ट्स को ऐक्सेस नही कर सकती है। हालाँकि आधार लिंकिंग की वजह से डेटा लीक का डर भी बना रहता है। इसका समाधान यही है कि समय पर पेमेंट पूरा कर MDM को हटा दिया जाए। हटाने के लिए आपको कंपनी से कांटैक्ट करना पड़ सकता है.

संदेश कैसे हटाएं

अगर आप MDM software का कंट्रोल यानी कंपनी का कंट्रोल अपने डिवाइस से पूरी तरह से हटाना चाहते हैं जिससे कि ये मैसेज “This Device Belongs to Owner and is Financed by Retailers” आपके डिवाइस में नहीं आए तो इसके लिए आपको निम्न स्टेप फ़ॉलो करने पड़ेंगे:

  1. समय पर सभी ईएमआई का भुगतान करें उसके बाद फाइनेंशियर से एनओसी लें।
  2. इसके बाद कंपनी आपको MDM रिमूव करने के बारे में बताएगी. जैसे कि इन दो में से कोई ऑप्शन:
    • सेटिंग्स > अकाउंट्स > वर्क प्रोफाइल डिलीट
    • फैक्टरी रीसेट करना. लेकिन फैक्टरी रीसेट करने से आपके डिवाइस का पूरा डेटा डिलीट हो जाएगा।

फाइनेंसिंग के फायदे और नुकसान

एक तरफ़ किस्तों में किसी डिवाइस को ख़रीदने की सर्विस यूज़र को लाभ भी देती है लेकिन दूसरी तरफ़ कुछ चिंताए भी पैदा करती हैं. लेकिन इस बात का और ख़्याल रखना पड़ेगा कि भारत में अभी लगभग 10-15% डिफॉल्ट रेट है इसलिए MDM जैसा कंट्रोल भी ज़रूरी है. चलिए विस्तार से जानते हैं:

फायदेनुकसान
डिवाइस ख़रीदने पर कोई एक्स्ट्रा खर्च नहीं आता क्योंकि अधिकतर कंपनियाँ 0% ब्याज पर लोन दे देती हैं.डेटा गोपनीयता जोखिम हमेशा बना रहता है.
अगर आप समय पर किस्तों का भुगतान करते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर सुधर जाता है.अगर आपने किस्तों के भुगतान में देरी की तो आप डिफॉल्टर घोषित हो सकते हैं.
कम आय वाले भी आसानी से कोई डिवाइस ख़रीद सकते हैं.कभी कभी उच्च ब्याज देनी पड़ती है अगर आपने किस्त भरने में देरी की तो.

निष्कर्ष

इस लेख में हमने This Device Belongs to Owner and is Financed by Retailers का हिंदी मीनिंग विस्तार से बताया है साथ ही इस मैसेज के बारे में भी. आशा करते हैं कि यह लेख आपको पसंद आएगा. इसे अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें.